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सपा सांसद जया बच्चन का विवादित बयान: कुंभ मेले के गंदे पानी पर हंगामा

February 3, 2025

Jaya Bachan Statement

 

देश की राजनीति में विवादों और बयानबाजी का सिलसिला थमता नहीं है। ऐसा ही एक मामला सामने आया जब समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद और मशहूर अभिनेत्री जया बच्चन ने कुंभ मेले के पानी को लेकर टिप्पणी की। उनके इस बयान ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल पैदा कर दी। जया बच्चन ने कुंभ मेले में पानी की गुणवत्ता को "देश में सबसे गंदा" कहा, और साथ ही दावा किया कि वहां लाशें तक फेंकी जाती हैं। उनका यह बयान न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला माना गया, बल्कि जल प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे की ओर भी ध्यान खींचता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यह विवाद कई सवालों को जन्म देता है।

 

 

जया बच्चन के बयान का विवरण

 

 

बयान का संदर्भ

 

जया बच्चन ने यह बयान तब दिया, जब वे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुंभ मेले की तैयारियों और व्यवस्था पर चर्चा कर रही थीं। सांसद ने कहा कि कुंभ मेले जैसे बड़े धार्मिक आयोजन में जो पानी उपलब्ध कराया जाता है, उसकी गुणवत्ता बेहद खराब है। उनका मानना था कि ऐसा गंदे पानी को धार्मिक भावना के नाम पर स्वीकार करना सही नहीं है। उनका यह बयान तब और चर्चित हुआ, जब उन्होंने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि इस पानी में "लाशें फेंकी जाती हैं।"

 

ये शब्द न केवल कुंभ मेले की व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं, बल्कि उन धार्मिक आस्थाओं को भी चुनौती देते हैं, जो लाखों भक्तों को गंगा स्नान के लिए प्रेरित करती हैं।

 

 

बयान का मूल विषय

 

जया बच्चन के बयान का मुख्य फोकस जल प्रदूषण था। उन्होंने दावा किया कि कुंभ मेले के दौरान गंगा और अन्य नदियों का पानी बेहद प्रदूषित होता है। उन्होंने पानी में तैरती लाशों और औद्योगिक कचरे की समस्या को भी उठाया, जो धार्मिक स्नान के वक्त लोगों की सेहत पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं।

 

उनके बयान को गंगा सफाई परियोजना की दिशा में की गई केंद्र सरकार की कोशिशों की आलोचना के तौर पर भी देखा गया। जया बच्चन ने सीधे तौर पर ये कहा कि यदि ऐसी स्थिति नियंत्रण में नहीं आई, तो इससे धार्मिक आयोजनों की पवित्रता पर बुरा असर पड़ेगा।

 

 

बयान पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं

 

 

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

 

जया बच्चन के इस बयान पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं। बीजेपी ने इस बयान की कड़ी आलोचना करते हुए इसे धार्मिक आस्थाओं का अपमान बताया। पार्टी नेताओं ने कहा कि यह बयान भारत की परंपराओं और संस्कृति के खिलाफ है। बीजेपी ने इसे सपा द्वारा जानबूझकर दी गई विवाद खड़ा करने की कोशिश के रूप में देखा।

 

दूसरी ओर, कांग्रेस और सपा ने उनका बचाव करते हुए कहा कि यह बयान धार्मिक लोगों की आस्थाओं पर हमला नहीं है, बल्कि जल प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाने के लिए दिया गया है। सपा ने इसे जया बच्चन की व्यक्तिगत राय बताया और यह भी कहा कि इसे विवाद का मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।

 

 

सामाजिक और धार्मिक समूहों की प्रतिक्रियाएं

 

धार्मिक संगठनों और सामाजिक समूहों से भी इस बयान पर व्यापक प्रतिक्रियाएं आईं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने जया बच्चन के बयानों को "अनुचित" और "अज्ञानता का प्रतीक" बताया। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक है, और इस पर ऐसे आरोप लगाना अनुचित है।

 

वहीं, पर्यावरण संगठनों ने इस बयान का समर्थन किया। उन्होंने इसे गंगा और अन्य नदियों के प्रदूषण की सच्चाई को जगजाहिर करने वाला बताया। पर्यावरणविदों ने जोर दिया कि सरकारों को धार्मिक आयोजनों के दौरान नदियों की स्वच्छता पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

 

जया बच्चन का विवादित बयान न केवल धार्मिक भावनाओं और राजनीति को प्रभावित करता है, बल्कि यह जल प्रदूषण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर भी ध्यान खींचता है।

 

कुंभ मेला, जो भारतीय संस्कृति और आस्था की एक अद्वितीय परंपरा है, उसमें जल की पवित्रता और स्वच्छता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है। जल प्रदूषण का मुद्दा केवल धार्मिक आयोजनों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पर्यावरण और जनस्वास्थ्य की भी चिंता का विषय है।

 

आवश्यकता है कि राजनीतिक और धार्मिक मतभेदों से ऊपर उठकर इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए। स्वच्छता और जल संरक्षण को एक अनिवार्य प्राथमिकता बनाना ही इस विवाद का समुचित उत्तर हो सकता है।