July 27, 2023
एक समय की बात है, एक राजा राजधानी में शासन करता था। वह बहुत ही न्यायप्रिय और ईमानदार राजा था। उसका प्रधान विचारधारा यह था कि सभी लोगों को अच्छा और बुरा कर्म के अनुसार न्याय देना चाहिए।
एक दिन, राजा के दरबार में एक व्यक्ति आया और राजा को वह बहुत रोने लगा। राजा ने उससे पूछा, "आप इतने विचलित क्यों हैं? क्या मुझसे कुछ गलती हो गई है?" व्यक्ति ने कहा, "नहीं, महाराज, आपने मेरे साथ कुछ गलत नहीं किया। मेरे पड़ोसी ने मुझसे एक सोने का आभूषण चुराया है और मुझे उसे वापस चाहिए।"
राजा ने यह सुनकर ध्यान से विचार किया और कहा, "मैं तुम्हारे आभूषण को वापस दूंगा, परंतु एक शर्त पर। तुम्हें उससे पहले एक बार अपने पड़ोसी से पूछना होगा कि उन्होंने वाकई आभूषण चुराया है या नहीं। यदि वह स्वयंसामर्थ्यपूर्ण तरीके से जवाब देते हैं और सबकुछ सही निकलता है, तो मैं तुम्हें आभूषण वापस दूंगा।"
व्यक्ति राजा की यह शर्त स्वीकार कर गया और अपने पड़ोसी के पास गया। वह अपने पड़ोसी से सब कुछ सही ढंग से पूछा और वाकई आभूषण चुराने के आरोप में दोषी पाया गया।
राजा ने यह सब सुना और व्यक्ति को उसके आभूषण को वापस कर दिया। वह न्यायपूर्ण निर्णय राजा के न्यायप्रिय विचारधारा को सिद्ध करता है और उसके नैतिकता और न्यायप्रियता की प्रशंसा करता है।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि न्यायप्रिय और ईमानदार राजा अपने राज्य की सेवा करते हैं और समाज में न्याय व्यवस्था को सुनिश्चित करते हैं। इस तरह के नेतृत्व और नैतिक मूल्यों के प्रतीच्छ दूसरे भी प्रेरित होते हैं।