info@visualsweb.com



परमात्मा पर भरोसा

April 7, 2022

एक राजा था उसका एक मंत्री था , जिसका नाम जय सिंह था। वह बहुत बुद्धिमान तथा समझदार था।
एक बार राजा के राज्य पर साथ वाले राज्य ने आक्रमण कर दिया। वह बहुत दुखी हुआ। वह अपनी जान बचाने के लिए गुप्त मार्ग से अपने मंत्री के साथ जंगल में पहुंच गया । उसके मंत्री को चाहे कोई दुख हो या सुख हो वह हमेशा यही कहता कि परमात्मा जो करता है अच्छा ही करता है। परंतु राजा को यह बात अच्छी ना लगती । इसलिए जब भी वह मंत्री के मुख से यह बात सुनता तो जल भुन जाता । अब जब मंत्री और राजा अपनी जान बचाकर जंगल में पहुंचे तो मंत्री मन ही मन परमात्मा को धन्यवाद दे रहा था। उसने राजा से कहा- राजन! घबराने की क्या जरूरत है ,ईश्वर पर भरोसा रखो वह जो भी करता है अच्छा ही करता है ।हमारी पराजय का कोई भेद होगा। जो हमें अभी तक पता नहीं चल रहा है। राजा इस आशापूर्ण उत्तर से जल भुन गया । उसने मंत्री से कहा- तुम्हारा परमात्मा कितना निर्दयी है उसने मेरा राजपाट ताज- तख्त सभी कुछ मुझसे छीन लिया।
बातें करते काफी समय बीत गया। अंधेरा छाने लगा और फिर वर्षा भी होने लगी। मौसम में एकदम ठंड छा गई। उन्हें सर्दी पीड़ा दे रही थी। उन्होंने आग जलाई परंतु बौछार के साथ ही वह भी बुझ गई । तभी राजा फिर भड़क कर मंत्री से कहा- तुम्हारा भगवान कितना निर्दयी है। उसे हम पर जरा भी तरस नहीं आता। इतने में उन्हें घोड़ों के टापू का स्वर सुनाई दिया। सिपाही घोड़ों पर बैठकर उनकी तरफ आ रहे थे। दुश्मनों के सिपाहियों को देखकर राजा का बुरा हाल हो रहा था । लेकिन अंधेरा होने के कारण राजा और मंत्री के घोड़े दिखाई ही नहीं दिए । तभी उनमें से एक ने कहा – जल्दी ढूंढो वह यहीं कहीं छुपे होंगे। दूसरे ने कहा – जल्दी करो कल उन दोनों को फांसी दे दी जाएगी और हमें बहुत सारा इनाम मिलेगा। लेकिन वे सैनिक राजा और मंत्री को ना ढूंढ सके और अपना सा मुंह लेकर वापस चले गए।

इस तरह राजा और मंत्री की जान बच गई। तभी मंत्री ने राजा से कहा महाराज अब तो आपको ईश्वर पर भरोसा हो गया होगा कि परमात्मा जो भी करता है अच्छा ही करता है। यदि भगवान की कृपा से वर्षा न होती तो सिपाही आग की रोशनी में हमें ढूंढ लेते और कल हमें फांसी हो जाती। अब राजा अपने समझदार भक्त मंत्री की बातें सुनकर बहुत प्रभावित हुआ । अब उसे परमात्मा पर विश्वास हो गया उधर उसके राज्य में अचानक प्राकृतिक आपदाएं आई। राजमहल में बैठा दुश्मन राजा महल के मलबे में दबकर ही मर गया। चारों ओर हाहाकार मच गई। उधर मंत्री और राजा दोबारा अपने राज्य में चले गए बिना लड़े भिड़े ही उन्हें राज्य पुनः प्राप्त भी हो गया।